एहसास
चेहरे पर हँसी थी आंखों
में नमी है,
सब कुछ है बस प्यार
की कमी है।
बहुत मुस्कुराए हैं अश्क़
आंखों में लेकर,
तुझे पाने की चाह कितनी
लाचार सी बनी है।
शिकवा नहीं तुझ से की
अहसास न समझे,
दिल के पास बड़ी मीनार
सी चुनी है।
बोलियां मोहब्बत की अब
चुभने लगी,
शहद सा जाना था वो खार
की सनी है।
चुनरी रेशम की भी नहीं है
सुहाती आजकल,
लगता है वो कांटो की तार
की बुनी है।
कभी लगता है उतार दूं
अब मैं मुखौटा
मुझ में खुद पर एतबार
की कमी है।
सीमा शर्मा