Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2020 · 1 min read

//एहसास//

सिर्फ एहसास की पास हो तुम बस,
सिर्फ एहसास की नजदीक हो तुम।।
अनगिनत लोगो में घबराई हुई।।।।
तन पर लगती है चिपकती आंखे,
बर्फ से ठंडी सुलगती आंखे।।
अनगिनत चेहरों में उलझा लिपटा,
अनगिनत चेहरों में रखा चेहरा।।
सैकड़ों तागो में उलझाई हुई,
सहमी सिमटी हुई शरमाई हुई।।
सिर्फ एहसास की पास हो तुम,
सिर्फ एहसास की नजदीक हो बस।।

Language: Hindi
342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रतन चले गये टाटा कहकर
रतन चले गये टाटा कहकर
Dhirendra Singh
हम सभी को लिखना और पढ़ना हैं।
हम सभी को लिखना और पढ़ना हैं।
Neeraj Agarwal
बचपन के दिन...
बचपन के दिन...
जगदीश लववंशी
महज़ एक गुफ़्तगू से.,
महज़ एक गुफ़्तगू से.,
Shubham Pandey (S P)
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
*खुद ही लकीरें खींच कर, खुद ही मिटाना चाहिए (हिंदी गजल/ गीति
Ravi Prakash
😊Good Night😊
😊Good Night😊
*प्रणय*
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
अब तो इस वुज़ूद से नफ़रत होने लगी मुझे।
Phool gufran
रिश्ते
रिश्ते
Shashi Mahajan
बहुत याद आता है
बहुत याद आता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"वन्देमातरम"
Dr. Kishan tandon kranti
बेटा-बेटी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...
बेटा-बेटी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
नाथ शरण तुम राखिए,तुम ही प्राण आधार
कृष्णकांत गुर्जर
तारों की बारात में
तारों की बारात में
Suryakant Dwivedi
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
भगवान ने कहा-“हम नहीं मनुष्य के कर्म बोलेंगे“
कवि रमेशराज
दीवारों की चुप्पी में
दीवारों की चुप्पी में
Sangeeta Beniwal
Sonam Puneet Dubey
Sonam Puneet Dubey
Sonam Puneet Dubey
सरकार से हिसाब
सरकार से हिसाब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
4943.*पूर्णिका*
4943.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*****नियति*****
*****नियति*****
Kavita Chouhan
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
*मोर पंख* ( 12 of 25 )
Kshma Urmila
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
हमें मजबूर किया गया 'अहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
न तो कोई अपने मौत को दासी बना सकता है और न ही आत्मा को, जीवन
न तो कोई अपने मौत को दासी बना सकता है और न ही आत्मा को, जीवन
Rj Anand Prajapati
अंगारों को हवा देते हैं. . .
अंगारों को हवा देते हैं. . .
sushil sarna
╬  लड़के भी सब कुछ होते हैं   ╬
╬ लड़के भी सब कुछ होते हैं ╬
पूर्वार्थ
*तन्हाँ तन्हाँ  मन भटकता है*
*तन्हाँ तन्हाँ मन भटकता है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पेड़ और नदी की गश्त
पेड़ और नदी की गश्त
Anil Kumar Mishra
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
चिल्लाने के लिए ताकत की जरूरत नहीं पड़ती,
शेखर सिंह
बे फिकर होके मैं सो तो जाऊं
बे फिकर होके मैं सो तो जाऊं
Shashank Mishra
Loading...