एहसास
क्यूँ कोई इतना खास हुआ जाता है
क्यूँ किसी से इतना लगाव हो जाता है
किसी के रोने से रोना, हँसने से हंसना आता है
क्यूँ कोई इतना खास हो जाता है
रिश्ता होना या रिश्ते का नाम होना ज़रूरी है क्या
क्यू वो बिना किसी आवाज़ का साज़ हो जाता है
ज़रूरी नही किसी के लिए मरा जाए, जिया जाए
ये तो मन के रिश्ते हैं दोस्तों, ये तो मन है जो
बिना पंख के परवाज़ हुआ जाता है
ये रिश्ते हैं एहसास के, ये एहसास हुआ जाता है
क्यों कोई इतना ख़ास हुआ जाता है