एहसास हुए हम
दूर रहकर भी तुम्हारे, कितने पास हुए हम ।
दिल में जो रखा तुमने, तुम्हारे ख़ास हुए हम ।
ना जाने कब तुमको, हमसे मुहब्बत हो गई ,
इल्म नहीं हमें, कब से तुम्हारी आस हुए हम ।
तुम्हारा दिल तो इतना जज़्बाती कभी नहीं था ,
फ़िर क्यूँ इस क़दर, तुम्हारे एहसास हुए हम ।
हैरत है कि कोई इतना चाह सकता है हमें ,
मग़र ख़ुशी भी है कि, किसी की प्यास हुए हम ।
अब तुम्हारे साथ ही जियेंगे हम, ज़िंदगी भर ,
और साथ मरेंगे, जब से तुम्हारी साँस हुए हम ।
वक़्त ऐसे भी बदलेगा, यक़ीन नहीं होता ,
हम जो कभी ख़ास थे, आज ख़लास हुए हम ।
तुम जो हमेशा हमें, दिल के क़रीब रखते थे ,
ऐसा क्या हो गया अब, जो इतिहास हुए हम ।
हमको लगता था, इश्क़ कभी बदलता नहीं है ,
देखो आज एक उतरा हुआ, लिबास हुए हम ।
संजीव सिंह ✍