एहसास-ए-शु’ऊर
दिल मे पाले हुए वहम को करो अलविदा ,
ज़ेहन मे छाए हुए नफ़रत के बादलों को
करो अलविदा ,
अपनी मनमर्जी और खुदगर्जी को करो अलविदा,
अपने चारों ओर फैले झूठ के साए को
करो अलविदा ,
अपने आप के सराबों में भटकने को
करो अलविदा,
इकतरफा इश्क़ की दीवानगी को
करो अलविदा ,
दौलत और शोहरत के सुरूर को
करो अलविदा,
अपने भीतर के ग़ुरुर को
करो अलविदा,
अपने लत्ख़ -ए- ऐमाल को
करो अलविदा ,
दूसरों से रश्क़ को
करो अलविदा,
खौफ़ के एहसास को
करो अलविदा ,
जिस्म़ मे फैले आलस को
करो अलविदा ,
अपने भीतर ज़ेहनी ग़ुलाम को
करो अलविदा,
सच का सामना से घबराहट को
करो अलविदा ,
झूठ छुपाने की कोशिश को
करो अलविदा ,
अपने तल्ख़ अंदाज़ को
करो अलविदा ,
ता’मीर-ए-ख़ुदी में बेख़ुदी को
करो अलविदा।