एहसासों से हो जिंदा
जब नहीं ले सकते फैसला,
खुद के जीवन का ;
क्यों किसी के फैसले में,
फासले बन जाते हो ।
जब कर नहीं सकते हो ,
प्यार किसी को ;
क्यों किसी के प्यार के ,
दुश्मन बन बैठे हो ।
जब बयांँ नहीं कर सकते हो ,
अपने दर्द का एहसास जीवन में ;
क्यों किसी के एहसासों की तरंगे ,
छेड़कर दर्द जगा देते हो ।
जब दे नहीं सकते हो ,
अपनों का साथ जीवन में ;
क्यों साथ जीवन में ,
दूसरों को नहीं देने देते हो ।
जब खुद नहीं लड़ सकते हो,
अपने हक की लड़ाई;
क्यों किसी को अपने हक के लिए ,
जूझने वालों को रोकते हो ।
जब स्वयं रह जाते हो तन्हाई में,
अकेले अपनी दुनिया में जीते हो ;
क्यों नहीं उन्हें उनकी दुनिया में ,
तन्हा औरों को जीने देते हो ।
जब तुम एक इंसान हो ,
अपने एहसासों से हो जिंदा ;
क्यों नहीं जिंदा एहसासों के संग ,
जीने वालों को जिंदादिल रहने देते हो ।
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बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।