एमएलए बन जाएँ (हास्य गीत)
हास्य गीत : एमएलए बन जाएंँ
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एक बार हमने सोचा हम एमएलए बन जाएँ
(1)
सबसे पहले टिकट माँगने पार्टी- दफ्तर आए
दफ्तर- वाले बोले लिख कर साथ नहीं क्यों
लाए
उसी समय हमने आवेदन कागज पर लिख
मारा
परिचय लिखकर दिया जन्मदिन से अब तक
का सारा
फिर हम बोले टिकट हमारा पक्का क्या
बतलाएँ
एक बार हमने सोचा हम एमएलए बन जाएँ
(2)
पार्टी के दफ्तर में बैठे सज्जन अब मुस्काए
बोले आप बहुत जल्दी में लगता है यह आए
आवेदन के लिए आपका नंबर दो सौ छह है
पन्द्रह वर्ष लगेंगे कम से कम इतना तो तय है
सुबह -शाम अब आप रोज पार्टी दफ्तर में
आएँ
एक बार हमने सोचा हम एमएलए बन जाएँ
(3)
जितने जिला- प्रभारी हैं, उनसे मिलते
रहिएगा
जो पदाधिकारी हैं , उन सब को प्रणाम
कहिएगा
जब भी आएँ यहाँ, जलेबी लेकर आना होगा
हफ्ते में दो बार दावतों पर ले जाना होगा
फिक्स्ड-डिपॉजिट अगर आपके हैं तो सब
तुड़वाएँ
एक बार हमने सोचा हम एमएलए बन जाएँ
(4)
हमने कहा शहर में अपना कद भारी-भरकम
है
कहा प्रभारी कार्यालय ने सबको यह ही भ्रम
है
हवा चलेगी तो मरियल भी पहलवान दीखेंगे
राजनीति का सार यही है ,कुछ दिन में सीखेंगे
प्रत्याशी जीता तो मतलब थी चल रही हवाएँ
एक बार हमने सोचा हम एमएलए बन जाएँ
. (5)
ज्ञान हुआ अब हमको , मिलना टिकट कार्य है भारी
सबसे ज्यादा इसी क्षेत्र में लगता मारामारी
दस-बीस साल यदि पार्टी- दफ्तर जाकर
चक्कर काटे
पता नहीं हाईकमान का, फिर भी किसको बाँटे
टिकट मिलेगा उन्हें, प्रभारी से जो लाड लड़ाएँ
एक बार हमने सोचा हम एमएलए बन जाएँ
(6)
मैं ठहरा मामूली – जन मैं टिकट कहाँ ला पाता
इतनी फुर्सत , समय और धन कैसे लेकर
आता
छोड़ गृहस्थी, कामकाज, टिकटों के पीछे
पड़ता
और टिकट पाकर चुनाव एमएलए का
तब लड़ता
छोड़ी एमएलए बनने की हमने सब आशाएँ
एक बार हमने सोचा हम एमएलए बन जाएँ
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा,
रामपुर(उ.प्र.)
मोबाइल 9997615451