एनकाउंटर!!
फिर हो गया है एनकाउंटर,
पर पहली बार नहीं हुआ है,
अनेकों बार इस प्रक्रिया को अपनाया गया है,
तो अब कोई नयी बात नहीं हुई है।
नया तो बस इतना है कि,
इस बार, ये एनकाउंटर,
तो अपनी नाक बचाने के लिए की है,
आठ साथी जो मार डाले थे, अपने!
इस जालिम ने,
यदि इसने यह दुशाहस ना दिखाया होता,
तो, हमने कब छेड़ा था,
अब तक छोड़ा ही था,
पर यह गुस्ताखी कर बैठा,
हम पर ही हाथ उठा बैठा,
तो परिणाम तो भुगतना ही होगा,
जो उसने,भुगत लिया।
अब कोई शोर मचाए तो मचाने दो,
जो हमें करना था, वह हमने कर दिया,
अब तक हमने औरौं की खातिर किया,
तब भी तो हम संदेह के घेरे में रहे थे,
अब अपनी खातिर किया है,
जिसे जो कहना है,वह कहता रहे।
यह कोई आखिरी एनकाउंटर तो है नहीं,
आगे भी जब कभी ऐसे हालात आएंगे,
हम ऐसा फिर करके दिखाएंगे,
यह सिलसिला चलता रहेगा,
जब तक कोई विकास दुबे बनकर,
हमें चुनौती देने को उभरता रहेगा।