Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Mar 2019 · 1 min read

एतबार मांगा था

हमने दिल का करार मांगा था
अपने हिस्से का प्यार माँगा था।

भूले थे हम तो सब गिले शिकवे
तू भी हो खुश गवार माँगा था।

सहरा में फिर से खिल उठें कलियाँ
हमने बाग़े बहार मांगा था।

तू तो गद्दार बगल में निकला
हमने तो एतबार मांगा था ।

यूँ ही खुश हो रहें मेरे अपने
हमने यह बार बार मांगा था।

रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

1 Like · 233 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"अकेलापन की खुशी"
Pushpraj Anant
2466.पूर्णिका
2466.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
वैसे किसी भगवान का दिया हुआ सब कुछ है
शेखर सिंह
💐 Prodigi Love-47💐
💐 Prodigi Love-47💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बौद्ध धर्म - एक विस्तृत विवेचना
बौद्ध धर्म - एक विस्तृत विवेचना
Shyam Sundar Subramanian
स्त्री
स्त्री
Shweta Soni
"लोकगीत" (छाई देसवा पे महंगाई ऐसी समया आई राम)
Slok maurya "umang"
मानवता का
मानवता का
Dr fauzia Naseem shad
आजादी..
आजादी..
Harminder Kaur
"क्रोध"
Dr. Kishan tandon kranti
अमर क्रन्तिकारी भगत सिंह
अमर क्रन्तिकारी भगत सिंह
कवि रमेशराज
विपक्ष ने
विपक्ष ने
*Author प्रणय प्रभात*
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
किस किस से बचाऊं तुम्हें मैं,
Vishal babu (vishu)
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
आहाँ अपन किछु कहैत रहू ,आहाँ अपन किछु लिखइत रहू !
DrLakshman Jha Parimal
ये नोनी के दाई
ये नोनी के दाई
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
विद्यापति धाम
विद्यापति धाम
डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्'
मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
Suryakant Dwivedi
** अब मिटाओ दूरियां **
** अब मिटाओ दूरियां **
surenderpal vaidya
!! होली के दिन !!
!! होली के दिन !!
Chunnu Lal Gupta
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
कुछ तो गम-ए-हिज्र था,कुछ तेरी बेवफाई भी।
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
Seema gupta,Alwar
*पाते असली शांति वह ,जिनके मन संतोष (कुंडलिया)*
*पाते असली शांति वह ,जिनके मन संतोष (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
भरोसा टूटने की कोई आवाज नहीं होती मगर
Radhakishan R. Mundhra
अंदर का मधुमास
अंदर का मधुमास
Satish Srijan
तुम्हारी निगाहें
तुम्हारी निगाहें
Er. Sanjay Shrivastava
यूँ तो कही दफ़ा पहुँची तुम तक शिकायत मेरी
यूँ तो कही दफ़ा पहुँची तुम तक शिकायत मेरी
'अशांत' शेखर
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
हे गुरुवर तुम सन्मति मेरी,
Kailash singh
पहला श्लोक ( भगवत गीता )
पहला श्लोक ( भगवत गीता )
Bhupendra Rawat
Loading...