एतबार पर आया
ग़ज़ल
उनकी मैं इक पुकार पर आया
प्यार के एतबार पर आया
आरजू ले भटक रहा था दिल
बाद कुछ इंतजार पर आया
रात-दिन की बेताबियाँ सहकर
दर्द-ए -दिल करार पर आया
छोड़ कर चल दिया जहाँ से था
फिर उसी रहगुजार पर आया
लौट कर अब कभी नहीं आता
सिर्फ इस इक करार पर आया
कर रहा हूँ अता नमाज़े दिल
खुश्बुओं की मजार पर आया
चाहने जब लगा ‘सुधा’ कोई
प्यार ये तब निखार पर आया
डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
12/1/2023
वाराणसी ,©®