#एक_ही_तमन्ना
#बस_एक_ही_तमन्ना
■ भीगा-भीगा मौसम और हम।
【प्रणय प्रभात】
“भीगे भीगे मौसम में
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तुम साथ हों।
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मौसम रूमानी सा हो,
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और मैं तुम्हे निहारते हुए,
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आंखों में आंखें डाल कर,
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मनुहार भरे लहजे में कहूँ-
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सुनो!
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एक कप चाय मिल सकती है क्या…?
#याद_रहे…
दुनिया में सब बदनीयत नहीं होते। कुछ हम जैसे भी होते हैं। थोड़े से मसखरे।।
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