एक स्त्री मन की संवेदना- लघु काव्य
एक स्त्री मन की संवेदना- लघु काव्य
“इतनी भी नहीं तन्हा मैं
कि तुम्हें भी याद न कर पाऊँ
दूर क्षितिज पर ढूंढ रहीं
तुम्हारी ही परछाईं
देखो तो वहाँ जहां पर
मिल जाते हैं धरती आकाश
कितना सुरभित हो जाता है
ये सारा जग और आकाश।“
॰
“I am not so lonely
That I cannot remember you
I am searching far in the horizon
An image of yours
Just look at that far far corner
Where the Earth and Sky meets
Creating an aromatic allurement
In the entire world and the sky.”
Ravindra K Kapoor
31st Dec. 2016