एक सोच
क्या हो अगर
अपने तय पथ को छोड़
नदी चल दे
पहाड़ की और..
भानु करवध हो
क्षमा मांगे
रात्रि के अंधकार की….
ये न हुआ कभी
और न होगा
फिर क्यों सोचे उसे
जिसका नही अस्तित्व
क्यों रोयें बस
अभाव का रोना
आओ देखें….
केवल भरा हुआ पैमाना ।।
सीमा कटोच