एक सैनिक की ललकार
मातृभूमि के मस्तक ऊंचा,
करने अब हम आये है।
अपने प्राणों की भारत माँ,
भेंट अनुपम लाये है।।1।।
गर दुश्मन ललकारे हमको,
तब खून हमारा ख़ौलेगा।
सम्हल जाओ तुम देश के दुश्मन,
आब अंतर्मन ये बोलेगा।।2।।
अपना अपना कहकर तुमने,
खंज़र हमको मारा है।
क्यों दे दें तुमको अब बोलो,
जो कश्मीर हमारा है।।3।।
तुम आतंकी सेना लेकर,
घुस आए दरवाजों से।
गूंज उठा था मेरा भारत,
दर्द भरी आवाज़ों से।।4।।
तुम दहशतगर्दों की सेना,
हमें डराने आये हो।
वहम निकालो अपने दिल से,
कि हमें हराने आये हो।।5।।
बहुत् सह लिया हमने तुमको,
और नहीं अब सहना है।
तुम अपनी औक़ात न भूलो,
तुमसे बस ये कहना है।।6।।
चीन सहारे गुर्राते हो,
अपना दम तो दिखलाओ।
भारत में शक्ति अपार है,
कर लो जो तुम कर पाओ।।7।।
स्वरचित काव्य
तरुण सिंह पवार