एक सूनी रात
((( एक सूनी रात )))
एक सूनी रात में
बीच सडक पर
इस कुंवारे दिल को
एक अनजानी मिली !
दिल बाग बाग हुआ
मन में अनुराग हुआ
मेरी सोई जवानी खिली !
पूछा नाम उससे
दामिनी बताया उसने
आँखें लाल लाल
था चाल कमाल
जुबां कैंची जैसी
लगती वो भूतनी जैसी
वाह ! खूब
ये घटना घटी
मुझसे भी पहली बार
एक लड़की पटी
मिली भी तो एक
ऐसी मिली
बडी तूफानी मिली !!
जब वो
दामिनी बोली
मन में प्रीत डोली
पर जब बदला
रूप उसने अपना
तब मुझको आने लगा
रात में सपना
जब वो मुझपे लपकी
तब मैंने भी दी
उसको धमकी
मगर तब
उसने एक ना सुनी
मैंने फिर बात गुनी
मुझको था
मौत का डर
उसने ली मेरी
हिम्मत हर
फिर मैं भागा
मैं था आगे
वो थी पीछे
फिर वो ऊपर
मैं था नीचे
आज अजब
रूहानी मिली
फिर क्या मेरे
मृत जीवन की
कल अखबार में
कहानी निकली
और खूब चली,,,
खूब चली !!!!!
#दिनेश एल० “जैहिंद”