एक सुन्दर नव पुष्प को संबोधित – कविता
कितनी बार,
मैंने तुम्हारी ओर देखा,
कितनी बार- मैंने तुम्हें स्पर्श की कोशिश की
हर बार, जब भी मैंने ऐसा किया,
मैं रोमांचित हो उठा,
तुम्हारे रंगों की सुंदरता से, और
तुम्हारी पंखुड़ियों के आकर्षण से,
ओ’ इस वर्ष के अंतिम तरोताज़ा पुष्प, अब केवल
केवल अगला नया साल तुम्हें फिर , तुम्हारी लंबी निद्रा से फिर जगायेगा ,
जब तुम फिर हम पर, अपने आकर्षण का जादू चलाने आओगे
तब तक के लिए – तुम्हें अलविदा।
Ravindra K Kapoor