एक सा पानी है।
अगर तुम समझ लो,,,
तो मोहब्बत की निशानी है।
वर्ना इन नज़रों में,,,
सब जैसा एक सा पानी है।।
कभी ये जुल्फे काली घटा थी,,,
अब तो आ गयी इनमें चांदी है।
ज़िन्दगी भी रूप बदलती है,,,
बचपना,बुढापा और जवानी है।।
तुम सब निकलो ना बाहर,,,
कोरोना से लड़ाई जारी है।
जानकारी ही इसकी शिफ़ा है,,,
बात ये जन जन तक पहुँचानी है।।
ज़िन्दगी भी रेत है,,,
कैसे भी पकड़ो बह जानी है।
कितना भी छुपा लो इससे,,,
यह मौत है मौत तो आनी है।।
बिन इनके ज़िन्दगी ना है,,,
घर की रौनके इनसे आनी है।
सम्भाल के परवरिश करना,,,
ये बच्चे तो खुदा की निशानी है।।
तुम मिलो तो हमसे,,,
करनी कुछ बात पुरानी है।
गलत समझ रहे हो हमको,,,
तुमको मिलके सारी बात बतानी है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ