“एक साथ “
उठाएंगे हर कांटा ,
तेरी राहों से ,
जो थक गए तो,
देंगे सहारा ,
अपनी बाहों से ।
आओ मिलकर
जिंदगी की ,
राह चलते हैं ।
जिस्म के खाक होने तक,
एक साथ चलते हैं ।
जो राह में ,
होगी तपन ,
तो मैं ढक लूंगा ,
तुमको बनकर बादल ।
तुम भी हवा का ,
झोंका बनकर ,
अपनी बाहों में ,
समेट लेना ।
आओ मिलकर
खुशियों की ,
बरसात करते हैं ।
जिस्म के खाक होने तक ,
एक साथ चलते हैं ।
जो होगा ,
पथ में अंधेरा ,
तो मैं बन ,
जाऊंगा दिया ।
तुम भी बाती ,
बन जाना ।
आओ मिलकर ,
जिंदगी को ,
रोशन करते हैं ,
जिस्म के खाक होने तक,
एक साथ चलते हैं ।
जो आएगा ,
कोई तूफान ,
तो मैं डिग जाऊंगा ,
बन कर चट्टान ।
तुम भी ,
हिम्मत बनकर ,
मेरे तन में ,
भर जाना ।
आओ हम ,
तूफान से लड़ते हैं ।
जिस्म के खाक होने तक
एक साथ चलते हैं ।
सूख की घड़ी हो ,
या हो दुख का साथ ,
थाम कर चलेंगे ,
हर पल तेरा हाथ ।
आओ मिलकर ,
जीवन को ,
सात रंगों से भरते हैं ।
जिस्म के खाक होने तक ,
एक साथ चलते हैं ।
“”सुनील पासवान “”
”’कुशीनगर”