एक सवाल बनकर
ऐसा न हो भीड़ में खो जाए हम
कुछ पल चले
और ठहर जाएं हम
बिखर न जाएं कही ख्वाब बनकर
जी रहे है हम
एक सवाल बनकर
शायद कुछ खास करने की तमन्ना है
शायद एक चाँद बनने की तमन्ना है
रह न जाए ये तम्मना खाक बनकर
जी रहे है हम
एक सवाल बनकर
छूट न जाए वक्त का साया कही
टूट न जाए उम्मीदों की कड़ी
बाह न जाए ये मुस्कान
एक जल प्रपात बनकर
जी रहे है हम
एक सवाल बनकर
– सोनिका मिश्रा