एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
कुछ अधूरे वचन, सौंपकर आ गए।।
कि राह में छोड़कर, तुम चले तो गए,
रास्ता पर हमें, पूर्ण करना तो था,
जिसके जीवन का कोई न आधार था,
उसकी जीवन कहानी बनानी तो थी।
इस तरह प्रेम को, ढूंढकर खो गए।
स्वप्न को छोड़कर, लौटकर आ गए।।
एक सरल मन लिए, प्रेम के द्वार हम।
कुछ अधूरे वचन, सौंपकर आ गए।।
अभिषेक सोनी
ललितपर, उत्तर–प्रदेश