एक सच
सच तो बस सांसों के साथ हैं।
रिश्तों की सोच भी सांस है।
हम न अपने न पराये होते हैं।
बस उम्मीद और आशाएं रखते हैं।
बस यही तो जिंदगी के संग हैं।
जिस्म और हकीकत में अंतर हैं।
हम इश्क मोहब्बत चाहत का मोह करते हैं।
आजकल तो हम जिस्म और धन से चलते हैं।
बस मुस्कुराती जिंदगी में सच तो यही हैं।
शब्दों में कड़वाहट बसी पर किरदार निभाते हैं।
एक बार सच समझ कर मिल तो निभाने का वादा करते हैं।……..………
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र