Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2023 · 1 min read

एक सच

सच और शब्दों के मेल बहुत मुश्किल होते हैं।

इस दुनिया में राजनीति के हमसफ़र सब होते हैं।

समाज में हम सभी के साथ साथ चलते हैं।

हकीकत में न समाज न रिश्ते नाते सच होते हैं।

आज अपने पराए और पराए अपने होते हैं।

सोच ऐसी आज हमारी मन में रहतीं हैं।

बस मुस्कुराती जिंदगी मन भावों में सच रहते हैं।

जिंदगी रंगमंच पर एक किरदार निभाती हैं।

हम सभी अपने जीवन को सफल बनाते हैं।

हां हमसफ़र और हम दोनों अकेले ही रह जाते हैं।

Language: Hindi
131 Views

You may also like these posts

आया पर्व पुनीत....
आया पर्व पुनीत....
डॉ.सीमा अग्रवाल
रोटी की क़ीमत!
रोटी की क़ीमत!
कविता झा ‘गीत’
नाम बदलने के रोगियों से एक आह्वान/ musafir baitha
नाम बदलने के रोगियों से एक आह्वान/ musafir baitha
Dr MusafiR BaithA
*माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया*
*माखन चोर बड़ा श्यामा साँवरिया*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#राजनैतिक_आस्था_ने_आज_रघुवर_को_छला_है।
#राजनैतिक_आस्था_ने_आज_रघुवर_को_छला_है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्यार की कद्र
प्यार की कद्र
ओनिका सेतिया 'अनु '
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
लिखा भाग्य में रहा है होकर,
लिखा भाग्य में रहा है होकर,
पूर्वार्थ
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
"तोहफा"
Dr. Kishan tandon kranti
अभी तो वो खफ़ा है लेकिन
अभी तो वो खफ़ा है लेकिन
gurudeenverma198
चौपाई छंद- राखी
चौपाई छंद- राखी
Sudhir srivastava
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
तुझको अपनी प्रीत मुबारक
Meenakshi Bhatnagar
"" *आओ बनें प्रज्ञावान* ""
सुनीलानंद महंत
2482.पूर्णिका
2482.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तन्हाई से यु लिपटे...
तन्हाई से यु लिपटे...
Manisha Wandhare
ऐ मोनाल तूॅ आ
ऐ मोनाल तूॅ आ
Mohan Pandey
किसी और को लाइक और फॉलो करने से
किसी और को लाइक और फॉलो करने से
Dr fauzia Naseem shad
शोकहर छंद विधान (शुभांगी)
शोकहर छंद विधान (शुभांगी)
Subhash Singhai
■ हिंदी सप्ताह के समापन पर ■
■ हिंदी सप्ताह के समापन पर ■
*प्रणय*
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
विजेता सूची- “संवेदना” – काव्य प्रतियोगिता
विजेता सूची- “संवेदना” – काव्य प्रतियोगिता
Sahityapedia
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
शकुन सतसई ( दोहा संग्रह) समीक्षा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
*मुख काला हो गया समूचा, मरण-पाश से लड़ने में (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दशहरे पर दोहे
दशहरे पर दोहे
Dr Archana Gupta
दीवाली शुभकामनाएं
दीवाली शुभकामनाएं
kumar Deepak "Mani"
जाल मोहमाया का
जाल मोहमाया का
Rekha khichi
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
सुकून की तलाश ने, प्रकृति की भाषा सिखा दी।
सुकून की तलाश ने, प्रकृति की भाषा सिखा दी।
श्याम सांवरा
एक पल हॅंसता हुआ आता है
एक पल हॅंसता हुआ आता है
Ajit Kumar "Karn"
Loading...