एक संकल्प
मैं तूफान-सा, आँधी-सा चला आऊँगा
जले हुए दीप में मैं
खुद को जला जाऊँगा,
ये दीवार-ना रोकेगी मुझको,
ये पहाड़ ना रोक पाएगा
हर क्षण, हर पल मैं अपनी गति बढ़ाऊँगा
मैं तूफान-सा, आँधी-सा चला आऊँगा |
ये वक्त तो गुजर रहा
वो वक्त भी जल्द ही आएगा
इष्ट-ए-दिल की मेरी
जिसमें पूर्ण हो जाएगा |
मेहनत में ना कोई कसर छोडूँगा
टूटे हुए दिल में भी जोश भरूँगा
फ़तह का मंत्र मालूम नहीं
पर परिश्रम करना ना भूलूँगा
मैं तूफान-सा, आँधी-सा चला आऊँगा |
कहते हैं मेहनत कभी बेकार नहीं जाती
सारी बात हार जीत से नहीं की जाती
जो बीत गया सो बात गई
जुट जाऊँगा काम करने, अपने भविष्य के लिए
छोड़ जाऊँगा छाप ऐसा
याद करेगा पूरा ज़माना हमेशा |