एक शक्ति
एक शक्ति विविधा विधा,धारण रूप अनेक।
रक्षाहित माँ अवतरीं, धारें सकल विवेक।।
विविध रुप माँ धारिणी, करें जगत कल्याण।
नवचेतन छवि पल्लवित, भरें सुधारस प्राण।।
पालन पोषण कारिणीं,करें दनुज संहार।
विविध रूप में प्रकट हो,करतीं नैया पार।।
प्रतिगृह पूजन हो कलश,मन्दिर ध्वनि को वाद्य।
लहराती स्वर्णिम धरा,क्षेत्रजगत में खाद्य।।
सूना अन्तस आँगना,आन करें माँ वास।
सकल व्यथा कर दूर माँ,करिये चक्षु निवास।।
डा.मीना कौशल
प्रियदर्शिनी