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8 Jan 2021 · 1 min read

“एक वायरस क्यूँ जी का जंजाल हो गया”

पिंजरे में बंद पंछियों सा हाल हो गया
हर आदमी इस हाल से बेहाल हो गया

यूँ तो बड़ा रईस है दौलत है बेशुमार
साँसों की बात आई तो कंगाल हो गया

दौड़ती इस दुनिया की रफ्तार थम गई
कैसे बचाएं खुद को ये सवाल हो गया

सूनी पड़ी हैं गलियां सूने पड़े बाज़ार
खौफ का ये बादल विकराल हो गया

डाली पे बैठे पंछी से कहने लगा शज़र
खुद पे जो आज गुज़री तो बवाल हो गया

कैसा ये वक़्त आया जो काटे नहीं कटता
लगता है एक दिन भी एक साल हो गया

सावी कहे कुछ सोच ऐ इंसा विचार कर
एक वायरस क्यूँ जी का जंजाल हो गया।
सविता गर्ग “सावी”
पंचकूला

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 619 Views
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