एक वक्त था जब मंदिर ने लोग आरती में हाथ जोड़कर और माथा झुकाक
एक वक्त था जब मंदिर ने लोग आरती में हाथ जोड़कर और माथा झुकाकर उसके दरबार ऊर्जा का संचरण करते थे पर आज कल लोग मंदिरों में हाथ ने मोबाइल के कैमरे ऑन करके उसको रिकॉर्ड करते है। तो कहा से मिलेगा शांति और उसकी ऊर्जा का भाव।
मंदिर अब धार्मिक स्थल कम पर्यटन स्थल ज्यादा बन गया है वहा अब ध्यान पाठ जाप और मनन कम होता दिखता है पर वहा वीडियो रिकॉर्डिंग ब्लागिंग रील बनते और पार्टीज करते ज्यादा दिखता है।
मंदिर आस्था का विषय है उसको तमाशा ना बनाओ
उसको आपके पब्लिसिटी की ना पहले गरज था ना आज गरज है । उन स्थलो की ऊर्जा और पवित्रता को बने रहने दो। वरना वो तो वैसे रहेंगे और भगवान को इंसान का वजूद खत्म करने में वक्त नहीं लगता है ।
फिर कहोगे प्रकोप है भगवान का, ईश्वर नाराज है