एक लड़की
एक लड़की,
जिसने कभी आईना नहीं देखा,
जिसने कभी संवरना नहीं जाना,
जिसने कभी खुद को सुंदर न माना…
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एक दिन…
एक लड़का आया और कह गया,
तुम्हारी आँखें मृगनयनी सा सुंदर हैं,
तुम्हारी मुस्कान के आगे गोविन्द की लालिमा फीकी है,
तुम जो इठलाती, काष्ट ह्रदय भी द्रवित हो जाता,
तुम्हारी पायल की खनक,
अंधकार के अरण्य में डूबे मुझ पथिक को दूर सुदूर से खीच लाई,
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तब से वो घंटो संवरती है,
खुद को बार बार आईने में निहारती है,
अब वो मन ही मन मुस्कुराती है।
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वो कितना प्यारा होता है इंसान,
जो किसी को सीखा देता है,
खुद से प्रेम करना….❤️