Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2020 · 2 min read

एक लघुकथा :-

एक मेले मे आए हुए हाथी को देख लोग खुश हो रहे थे वहीं पांच अंधे मनुष्य भी खड़े थे उन पांचो अंधे मनुष्यो के मन मे भी हाथी को देखने की जिज्ञासा हुई तो वही खड़े एक मनुष्य ने उन्हे हाथी के शरीर को स्पर्श करा मानसिक छवि से हाथी देखने को कहा और सभी को हाथी के शरीर के समीप ले गए पहले अंधे मनुष्य ने हाथी के पेट को छुआ तो उसे हाथी पहाड़ जैसा प्रतीत हुआ, दूसरे ने हाथी को कान से छुआ तो उसे हाथी सूप जैसा प्रतीत हुआ, तीसरे ने हाथी के पांव को छुआ तो उसे हाथी खंभे के समान प्रतीत हुआ, चौथे ने हाथी की पूंछ को छुआ तो हाथी उसे रस्सी समान प्रतीत हुआ और पांचवे ने हाथी को सूंड से छुआ तो हाथी उसे पेड़ की डाल समान प्रतीत हुआ। सभी हाथी को छूकर महसूस करने के पश्चात आपस मे बहस करने लगे सभी हाथी के अलग-अलग रूप बता आपस मे बहस करने लगे बात बढ़ती देख वहां खड़े एक वैधराज ने उनकी आँखो मे एक दवा डाल उन्हे रोशनी प्रदान कर दी। वैधराज का आभार प्रकट कर जब उन्होने हाथी को देखा तो वह सब अचरज से भर उठे क्योंकि वह सब हाथी के शरीर के अलग-अलग अंगो को पूर्ण मान उसका वर्णन कर आपस मे बहस कर रहे थे।
साथियो आज की वास्तविकता मे हम सब भी यही कर रहे है उस एक पूर्ण परमात्मातत्व के अलग-अलग रूपो को लेकर बेकार बहस कर आपसी प्रेम, भाईचारे आपसी सद्भाव और मनुष्यता को भुलाकर स्वयं को ही श्रेष्ठ साबित करने मे लगे है और हम यह भी भली-भांति जानते है कि संसार के सभी धर्मो, सम्प्रदायो, मतो का परमात्मा एक ही है। बस हम ही उन अंधे मनुष्यो की तरह अलग-अलग और अपूर्ण जानकारी को पूर्ण मान समझकर फिजूल बहस करने मे लगे है।
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
? प्रभु चरणों का दास :- चंदन कुमार
••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••

Language: Hindi
328 Views

You may also like these posts

निस दिवस मां नाम रटूं, धर हिवड़े में ध्यांन।
निस दिवस मां नाम रटूं, धर हिवड़े में ध्यांन।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
हाई स्कूल की परीक्षा सम्मान सहित उत्तीर्ण
हाई स्कूल की परीक्षा सम्मान सहित उत्तीर्ण
Ravi Prakash
जब  तक  साँसें  चलती  है, कोई  प्रयत्न  कर  ले।
जब तक साँसें चलती है, कोई प्रयत्न कर ले।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
यूं तो मेरे जीवन में हंसी रंग बहुत हैं
हरवंश हृदय
जीवन सत्य या मृत्यु। ~ रविकेश झा
जीवन सत्य या मृत्यु। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
बुरा न मानो, होली है! जोगीरा सा रा रा रा रा....
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
हरियाली माया
हरियाली माया
Anant Yadav
कविता
कविता
Rambali Mishra
उम्र बढ़ने के साथ हौसले और शौक में यदि वृद्धि यदि न हो तो फि
उम्र बढ़ने के साथ हौसले और शौक में यदि वृद्धि यदि न हो तो फि
Rj Anand Prajapati
"अपने की पहचान "
Yogendra Chaturwedi
दुनिया में कहे खातिर बहुते इयार
दुनिया में कहे खातिर बहुते इयार
आकाश महेशपुरी
ये लोकतंत्र की बात है
ये लोकतंत्र की बात है
Rohit yadav
4166.💐 *पूर्णिका* 💐
4166.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
स्मृतियां हैं सुख और दुख
स्मृतियां हैं सुख और दुख
Seema gupta,Alwar
आज मौसम में एक
आज मौसम में एक
अमित कुमार
सुनो तुम
सुनो तुम
Sangeeta Beniwal
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अपने माँ बाप पर मुहब्बत की नजर
अपने माँ बाप पर मुहब्बत की नजर
shabina. Naaz
◆कुटिल नीति◆
◆कुटिल नीति◆
*प्रणय*
वीरांगना लक्ष्मीबाई
वीरांगना लक्ष्मीबाई
Anamika Tiwari 'annpurna '
हिंदी दिवस - विषय - दवा
हिंदी दिवस - विषय - दवा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आँगन
आँगन
Ruchika Rai
खर्च कितना करें
खर्च कितना करें
मधुसूदन गौतम
ચાલો લડીએ
ચાલો લડીએ
Otteri Selvakumar
ग़ज़ल (चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने)
ग़ज़ल (चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने)
डॉक्टर रागिनी
हम ज़िंदा कब थे ?
हम ज़िंदा कब थे ?
Shriyansh Gupta
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
पैमाना सत्य का होता है यारों
पैमाना सत्य का होता है यारों
प्रेमदास वसु सुरेखा
برائی سے دامن
برائی سے دامن
अरशद रसूल बदायूंनी
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
मैं ज़िंदगी भर तलाशती रही,
लक्ष्मी सिंह
Loading...