एक रूप में हिन्दुस्तानी
निर्मल पावन सुंदर स्वर्णिम
सुशोभित करते नाद मेरे
भारत माँ को हैं समर्पित
हर पल ये प्राण मेरे
भिन्न भिन्न है धर्म हमारा
भिन्न भिन्न है रूप
रहते हैं हम घुलकर जल में
चीनी जैसा है स्वरूप
भ्रम न पालो बाहर वालों
हिंदू मुस्लिम में न बांटो
अपूर्ण ज्ञान लेकर आए
ऐसे न अब पहचानो
सुनो बात मेरी पहले
हिन्दुस्तान कहा से आया
सिन्धु नाम है जनने वाला
उसी सिन्धु के हिन्दु हैं हम
कहते हैं हम सबको
एक रूप में हिन्दुस्तानी
-सोनिका मिश्रा