Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2020 · 1 min read

एक रिश्ता ऐसा भी…..!!

एक रिश्ता ऐसा भी……!!

बहुत ही घमण्डी नकचढ़ी औरत है, इसके मुंह कौन लगे, संजू जब भी माहेश्वरी को पढ़ता उसके मन-मस्तिष्क में यही भाव उभरते। आज फिर संजू ने जैसे ही फेसबुक खोली माहेश्वरी द्वारा रचित आलेख पहले ही नंबर पर उसे दिखा, मन तो ऐसे हुआ कि इस पोस्ट की अनदेखी कर आगे बढ़े किन्तु वह आलेख जिसके संबद्ध लिखा गया था वह इंसान संजू को अति प्रिय था अतः चाहकर भी वह आगे बढ़ न सका और आलेख पढ़ता रहा।

जैसे-जैसे संजू आलेख पढ़ता गया उसे अपनी सोंच व समझ पर तरस एवं माहेश्वरी के प्रति अगाध श्रद्धा के भाव जागृत हो उठे। ऐसा लगा जैसे अबतक माहेश्वरी को ना समझ कर संजू ने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती , अक्षम्य अपराध किया है, उसका अंतःकरण उसे माहेश्वरी से क्षमा मांगने को प्रेरित कर रहा था पर क्षमा मांगे तो कैसे, माहेश्वरी तो उसे जानती भी नहीं है।

कुछ ही दिन बीते होंगे लिलावती के माध्यम से संजू आखिरकार माहेश्वरी तक पहुंचने में कामयाब रहा, संजू ने अप्रत्यक्ष रूप से बिना अपनी अपराध को बताये माहेश्वरी से क्षमायाचना की एवं उसे अपनी बड़ी बहनें बनने को तैयार किया। आज माहेश्वरी एवं संजू का यह रिश्ता इस आभासी दुनिया में भी गैर आभासी एवं सच्चा लगता है।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’

Language: Hindi
1 Like · 725 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

Practice compassionate self-talk
Practice compassionate self-talk
पूर्वार्थ
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
इतने अच्छे मौसम में भी है कोई नाराज़,
Ajit Kumar "Karn"
रथ निकला नन्द दुलारे की
रथ निकला नन्द दुलारे की
Bharti Das
"" *अहसास तेरा* ""
सुनीलानंद महंत
🙅बेशर्मी की हद नहीं🙅
🙅बेशर्मी की हद नहीं🙅
*प्रणय*
पर्यावरण
पर्यावरण
Neeraj Agarwal
भीग जाऊं
भीग जाऊं
Dr fauzia Naseem shad
रात नशीली कासनी, बहका-बहका चाँद।
रात नशीली कासनी, बहका-बहका चाँद।
डॉ.सीमा अग्रवाल
..........जिंदगी.........
..........जिंदगी.........
Surya Barman
संजीवनी
संजीवनी
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सत्य मंथन
सत्य मंथन
मनोज कर्ण
मिजाज
मिजाज
Poonam Sharma
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
Ranjeet kumar patre
दीप जलाकर अंतर्मन का, दीपावली मनाओ तुम।
दीप जलाकर अंतर्मन का, दीपावली मनाओ तुम।
आर.एस. 'प्रीतम'
प्रेम करने आता है तो, प्रेम समझने आना भी चाहिए
प्रेम करने आता है तो, प्रेम समझने आना भी चाहिए
Anand Kumar
*क्रम चलता आने-जाने का, जन जग में खाली आते हैं (राधेश्यामी छ
*क्रम चलता आने-जाने का, जन जग में खाली आते हैं (राधेश्यामी छ
Ravi Prakash
कल की चिंता छोड़कर....
कल की चिंता छोड़कर....
जगदीश लववंशी
मात्र एक पल
मात्र एक पल
Ajay Mishra
"इंसान"
Dr. Kishan tandon kranti
कृष्ण मुरारी आओ
कृष्ण मुरारी आओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
मन में रख विश्वास,
मन में रख विश्वास,
Anant Yadav
*संतान सप्तमी*
*संतान सप्तमी*
Shashi kala vyas
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
Madhuri mahakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
जन्म जला सा हूँ शायद...!
जन्म जला सा हूँ शायद...!
पंकज परिंदा
दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
Surinder blackpen
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
Shweta Soni
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बतायें कौन-सा रस है ?
बतायें कौन-सा रस है ?
Laxmi Narayan Gupta
4760.*पूर्णिका*
4760.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...