एक रिश्ता ऐसा भी…..!!
एक रिश्ता ऐसा भी……!!
बहुत ही घमण्डी नकचढ़ी औरत है, इसके मुंह कौन लगे, संजू जब भी माहेश्वरी को पढ़ता उसके मन-मस्तिष्क में यही भाव उभरते। आज फिर संजू ने जैसे ही फेसबुक खोली माहेश्वरी द्वारा रचित आलेख पहले ही नंबर पर उसे दिखा, मन तो ऐसे हुआ कि इस पोस्ट की अनदेखी कर आगे बढ़े किन्तु वह आलेख जिसके संबद्ध लिखा गया था वह इंसान संजू को अति प्रिय था अतः चाहकर भी वह आगे बढ़ न सका और आलेख पढ़ता रहा।
जैसे-जैसे संजू आलेख पढ़ता गया उसे अपनी सोंच व समझ पर तरस एवं माहेश्वरी के प्रति अगाध श्रद्धा के भाव जागृत हो उठे। ऐसा लगा जैसे अबतक माहेश्वरी को ना समझ कर संजू ने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती , अक्षम्य अपराध किया है, उसका अंतःकरण उसे माहेश्वरी से क्षमा मांगने को प्रेरित कर रहा था पर क्षमा मांगे तो कैसे, माहेश्वरी तो उसे जानती भी नहीं है।
कुछ ही दिन बीते होंगे लिलावती के माध्यम से संजू आखिरकार माहेश्वरी तक पहुंचने में कामयाब रहा, संजू ने अप्रत्यक्ष रूप से बिना अपनी अपराध को बताये माहेश्वरी से क्षमायाचना की एवं उसे अपनी बड़ी बहनें बनने को तैयार किया। आज माहेश्वरी एवं संजू का यह रिश्ता इस आभासी दुनिया में भी गैर आभासी एवं सच्चा लगता है।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’