एक याद बचपन की(कविता)
निःस्वार्थ भरी नियत मिल जाए बचपन की।
खट्टी-मीठी कोई चोट मिल जाए बचपन की।।
मुझे तलाश है उस मीठी सी पीपली छाँव की,
मुझे तलाश है बचपन वाले छोटे उस गाँव की,
मुझे तलाश है पगडड़ी पर घूमते नंगे पाँव की,
मन से अमैली कोई मिल जाए याद बचपन की।।
मुझे तलाश है उस कागज वाली तैरती नाव की,
मुझे तलाश है बारिश में हथेली वाली छाँव की,
मुझे तलाश है मम्मी की प्यार वाली छाँव की,
नटखटी शरारती मिल जाए याद बचपन की।।
मुझे तलाश है पीपल पर बैठी अम्मा नानी की,
मुझे तलाश है दादी नानी की लम्बी कहानी की,
मुझे तलाश है उस कहानी में आती परी रानी की,
कुछ घबराती कुछ मस्ती भरी याद बचपन की।।
मुझे तलाश है अव्वल वाली पहली किताब की,
मुझे तलाश है छोटे मन के बड़े-बड़े हिसाब की,
मुझे तलाश है बड़ेजनों के मृदुल प्रेम झुकाव की,
कुछ कर गुजरने वाली मिले हर याद बचपन की।।
मुझे तलाश है नन्हे सैनिक में छिपे राष्ट्रप्रेम की,
मुझे तलाश है मिट्टी में खेलते मातृभूमि प्रेम की,
मुझे तलाश है बच्चों की हँसी वाले उस प्रेम की,
राष्ट्र वन्दना की आरती वाली याद बचपन की।।
© स्वतंत्र गंगाधर