एक मुलाकात चांद से
कल रात मेरी खिडकी पर
चाँद आकर ठहर गया
बोला _कुछ दिन हुए
तुम खुश हो
नाच रही थी
और आज हो
एकदम उदास
पूछने का तुमसे
क्या कर सकता हूँ साहस
सुन मेरी बात
उसने हंसते हुए कहा …..
कोई मुझे देख
रचता है कविता
किसी को नज़र आता
मुझमें अपना प्रियतम ,
तो कोई मुझमें देखता रहा
ताउम्र बस दाग …
एक ने कह डाला
घूमता पिंड मुझे
कभी पूजा जाता
तो पत्थर भी
खाता हूँ कभी …..
लेकिन, निन्दा स्तुति से
हो विरक्त मैं
निरंतर अग्रसर
रहता हूँ अपने
गंतव्य की अोर !!
सीमा कटोच