एक मुलाकात(लघु कथा)
“एक मुलाकात”
“साई”फिर से वो गली से निकली और मै छुप कर देख रहा था कि मै उस को दिखूं ना तो उस के चहरे के हाव बाव कैसे होंगे। लेकिन जब मैने उस को देखा वो आँखे वो चहरा में देखता ही रह गया।सच में वो आँखे मुझे ही ढूढ रही थी।तभी अचानक से उस की नजर मुझ पर पड़ ही गई। फिर उसके चहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान आई।वो थी मुझे देख कर।उस वक़्त उस का चहरा एक दम से खिल गया हो।मानो जैसे सुबह की पहली किरण हो।फिर मै उस के पास गया और हम चाये पिने के हम ओटो में निकले। फिर हम ने वहाँ बहुत सारी बाते की और आज वो हर रोज की तरह मेरे लिए कुछ ना कुछ ले कर आई हुई थी।वो आज अमरुद और लड्डू अपने साथ ले कर आई थी।सिर्फ मुझे खिलने के लिए।हम ने खूब बाते की और वो आज फिर हर रोज की तरह खूबसूरत लग रही थी।फिर मै उस को घर पर छोड़ने को निकला और हम बात करते हुए घर निकले । फिर मै निरास मन से उस की तरफ देख रहा था। की आज फिर वो मुझ से दूर जा रही है।उस वक़्त मेरी आँखे झुकी हुई थी और चहरा गिरा हुआ।ये सब उस से दूर होने का कारण था।
मंदीपसाई