Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2016 · 1 min read

एक मुलाकात(लघु कथा)

“एक मुलाकात”

“साई”फिर से वो गली से निकली और मै छुप कर देख रहा था कि मै उस को दिखूं ना तो उस के चहरे के हाव बाव कैसे होंगे। लेकिन जब मैने उस को देखा वो आँखे वो चहरा में देखता ही रह गया।सच में वो आँखे मुझे ही ढूढ रही थी।तभी अचानक से उस की नजर मुझ पर पड़ ही गई। फिर उसके चहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान आई।वो थी मुझे देख कर।उस वक़्त उस का चहरा एक दम से खिल गया हो।मानो जैसे सुबह की पहली किरण हो।फिर मै उस के पास गया और हम चाये पिने के हम ओटो में निकले। फिर हम ने वहाँ बहुत सारी बाते की और आज वो हर रोज की तरह मेरे लिए कुछ ना कुछ ले कर आई हुई थी।वो आज अमरुद और लड्डू अपने साथ ले कर आई थी।सिर्फ मुझे खिलने के लिए।हम ने खूब बाते की और वो आज फिर हर रोज की तरह खूबसूरत लग रही थी।फिर मै उस को घर पर छोड़ने को निकला और हम बात करते हुए घर निकले । फिर मै निरास मन से उस की तरफ देख रहा था। की आज फिर वो मुझ से दूर जा रही है।उस वक़्त मेरी आँखे झुकी हुई थी और चहरा गिरा हुआ।ये सब उस से दूर होने का कारण था।

मंदीपसाई

Language: Hindi
512 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

2875.*पूर्णिका*
2875.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सफलता"
Dr. Kishan tandon kranti
कर्म ही है श्रेष्ठ
कर्म ही है श्रेष्ठ
Sandeep Pande
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
इंसान अच्छा है या बुरा यह समाज के चार लोग नहीं बल्कि उसका सम
Gouri tiwari
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
Ajit Kumar "Karn"
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
किसान आंदोलन
किसान आंदोलन
मनोज कर्ण
" REMINISCENCES OF A RED-LETTER DAY "
DrLakshman Jha Parimal
हुस्न वाले उलझे रहे हुस्न में ही
हुस्न वाले उलझे रहे हुस्न में ही
Pankaj Bindas
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
कद्र माँ-बाप की जिसके आशियाने में नहीं
VINOD CHAUHAN
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
भीतर की प्रकृति जुड़ने लगी है ‘
Kshma Urmila
इश्क तू जज़्बात तू।
इश्क तू जज़्बात तू।
Rj Anand Prajapati
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
बाल कविता: मेरा कुत्ता
बाल कविता: मेरा कुत्ता
Rajesh Kumar Arjun
शौक को अजीम ए सफर रखिए, बेखबर बनकर सब खबर रखिए; चाहे नजर हो
शौक को अजीम ए सफर रखिए, बेखबर बनकर सब खबर रखिए; चाहे नजर हो
पूर्वार्थ
अब कहने को कुछ नहीं,
अब कहने को कुछ नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कौन हो तुम
कौन हो तुम
हिमांशु Kulshrestha
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
Paras Nath Jha
सच्चा प्यार
सच्चा प्यार
Rambali Mishra
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
Dr. Man Mohan Krishna
मौन सरोवर ....
मौन सरोवर ....
sushil sarna
लोगों के दिलों में बसना चाहते हैं
लोगों के दिलों में बसना चाहते हैं
Harminder Kaur
समय की धारा
समय की धारा
Neerja Sharma
जाल ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहिए
जाल ज्यादा बढ़ाना नहीं चाहिए
आकाश महेशपुरी
कोहरा
कोहरा
Suneel Pushkarna
बंटवारा
बंटवारा
Shriyansh Gupta
रो रो कर बोला एक पेड़
रो रो कर बोला एक पेड़
Buddha Prakash
-कलयुग ऐसा आ गया भाई -भाई को खा गया -
-कलयुग ऐसा आ गया भाई -भाई को खा गया -
bharat gehlot
sp51 युग के हर दौर में
sp51 युग के हर दौर में
Manoj Shrivastava
Loading...