एक मुक्तक
सदा पावों को यदि देखे दुखी मन मोर रहता है.
भुलाकर मोर पंखों को व्यथित चहुँओर रहता है.
जिसे हम खोजते संसार में प्रतिक्षण बने पागल,
हमारे ही हृदय में वह सदा चितचोर रहता है..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’
सदा पावों को यदि देखे दुखी मन मोर रहता है.
भुलाकर मोर पंखों को व्यथित चहुँओर रहता है.
जिसे हम खोजते संसार में प्रतिक्षण बने पागल,
हमारे ही हृदय में वह सदा चितचोर रहता है..
–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’