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24 Feb 2022 · 1 min read

ठंड बेचारी( मुक्तक)

ठंड बेचारी (मुक्तक)
=================
ठंड बेचारी अकड़ दिखला रही है
है बुढ़ापा कर नहीं कुछ पा रही है
छोड़ दो रस्ता बसंती मौसमों का
नौजवानी फूल पर हर छा रही है
■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता :रवि प्रकाश बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 999 761 54 51

Language: Hindi
148 Views
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