ठंड बेचारी( मुक्तक)
ठंड बेचारी (मुक्तक)
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ठंड बेचारी अकड़ दिखला रही है
है बुढ़ापा कर नहीं कुछ पा रही है
छोड़ दो रस्ता बसंती मौसमों का
नौजवानी फूल पर हर छा रही है
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रचयिता :रवि प्रकाश बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश मोबाइल 999 761 54 51