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29 Jun 2020 · 1 min read

एक माटी के पुतले को, बड़ी अनमोल दीं आंखें

एक माटी के पुतले को, बड़ी अनमोल दीं आंखें
ये दुनिया को दिखाती हैं, बड़ी अनमोल दो आंखें
न भाषा है, न बोली है, न होती है जुबां इनको
फिर भी हर बात दिल की, बोलती आंखें
ये दुख में भी बहतीं हैं, ये सुख में भी बहतीं हैं
राजेदिल प्यार या नफरत, सब खोलती आंखें
क्रोध में सुर्ख हो जातीं, प्रेम में ये दीवानी हैं
किसी को बंद हो जातीं, किसी को देखती आंखें
ये शोला भी, ये शबनम भी, शीतल भी, हैं अंगारे
दहकतीं हैं ज्वालाऐं, कमल के फूल हैं आंखें
नहीं कहती जुबां से कुछ, इनके तो इशारे हैं
बिना हथियार की कातिल, निगाह से मारती आंखें
किसी ने कहा कजरारी, किसी ने कहा मतवारी
किसी ने हिरनी से तुलना की, किसी ने झील सी आंखे
मय कहा, साकी कहा, मय खाना भी कह डाला
नहीं तुलना के लायक हैं, बड़ी नायाब हैं आंखें

Language: Hindi
12 Likes · 324 Views
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