एक महाकवि अलबेला सा : नीरज
एक महाकवि अलबेला सा ,
गाता था मधुर -मधुर गान ,
अपनी कलम का कुशल चितेरा ,
गीतों में भरता था ऐसी जान .
हर भाव को छूता ,हर आह को छूता ,
दिल से ,रूह से नहीं था अनजान .
साहित्य के वट-वृक्षों से नयी फसलों तक ,
किया एक सशक्त सेतु का उसने निर्माण.
किसी की प्रेरणा ,तो किसी का रहनुमा ,
किया मार्गदर्शनऔर दिया अनमोल ज्ञान.
हिंदी-उर्दू का मेल करवाने वाला ,साहित्य -प्रेमी ,
साहित्य -मर्मज्ञ नीरज महाकवि था महान .
साहित्य -प्रेमियों ,अपने पुजारियों को छोड़ ,
अनंत में लीन हो गया छोड़ अपने क़दमों के निशान .