– एक मजबूरी –
– एक मजबुरी –
एक मजबूरी क्या से क्या कर गई,
हमे होना था कहा वो कहा धर गई,
हम चाहते थे ऊपर उठना,
वो नीचे धड़ाम से गिरा गई,
हम चाहते थे उत्कृष्ट बनना ,
वो हमे निकृष्ट बना गई,
बनना था हमे इतिहास,
वो भूगोल बिगाड़ गई,
रहना था सबके दिलो में,
वो अपनो के दिलो से निकाल गई,
क्या करना चाहते थे क्या करा गई,
आदमी का जीवन है बैल का जीवन जीना,
वो हमे बैल सा जीवन जीना सिखा गई
जिम्मेदारियों का बोझ इतना बढ़ा की,
उसमे वो हमे दबा गई,
क्या बनना चाहते थे क्या बना गई,
एक मजबूरी क्या से क्या कर गई,
✍️✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
संपर्क सूत्र -7742016184 –