एक भ्रमजाल सा
दूर से देखा तो
वह एक भ्रमजाल सा था
पास आकर पाया कि
वह तो मेरे एक अधूरे स्वप्न का
साकार रूप सा था लेकिन
यह मेरी बदकिस्मती थी कि
मेरे दिल में पलती चाहतों की
ख्वाहिशों का एक बहुत बड़ा
हिस्सा मैंने अपने आसपास
हमेशा ही एक फूलों पर मंडराते
भंवरे सा पाया पर
वह एक तितली सा उड़ गया
बादल सा उड़कर बिछड़
गया
अफसोस पर
हाथ मेरे कभी कुछ
तमाम उम्र न आया।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001