एक भारत श्रेष्ठ भारत
एक भारत श्रेष्ठ भारत
एक भारत श्रेष्ठ भारत मिलकर भारत बनाना है
भिन्न- भिन्न इंद्र धनुष के रंगों से सजाना है
तरह- तरह के फूल पिरोकर माला बन जाती है
जब तिरंगा लहराए गर्दन गर्व से तन जाती है
भारत की माटी के पुतले भी लोहे के माने जाते हैं
भगत, सुभाष और तिलक इस नाम से जाने जाते हैं
भारत की ऐसी माटी है जहाँ भगवान जन्में जाते हैं
सोने से हैं दिन यहाँ पर और चांदी सी है यहाँ रात
नदियों में अमृत की धारा जम के बरसे यहाँ बरसात
प्रगति के पथ पर चलना, रुकना हमें मंजूर नही
जब दिल में हम ठान लें तो मंजिल फिर दूर नहीं
नफरत नहीं पनपने देगें हम प्यार के दीप जलाएगे
कत्रा-कत्रा महके जिसका इक ऐसा गुलिस्ताँ बनाएगें
ना कोई हिन्दू, ना कोई मुस्लिम, ना कोई सिख ईसाई
हम सबसे पहले भारत वासी आपस में हैं भाई-भाई
एक थे हम, एक रहेगें यह सबको हमें समझाना है
जो भटक गए हैं, अपनी राह से उन्हें राह दिखाना है
राह में पडे हर रोडे को सफलता की सीढी़ बनाएगें
उन्हीं सीढियों से होके हम नया परचम लहराएगे
खेल, फौज देश की शान है
हर मन की हम बात सुनेगें, योग हम अपनाएगे
जन-जन को शिक्षत हम करेगें, निरक्षता दूर भगाएगे
ऐसा ही भाव जगे मन में हृदय से यह अपनाना है
धर्म एक हो, लक्ष्य एक हो, भारत को आगे बढाना है
विश्व गुरु के पद पर भारत श्रेष्ठ भारत मिलकर भारत बनाना है
सीरत यही संकल्प हमारा है…
शीला गहलावत सीरत
चण्डीगढ़, हरियाणा