एक भटकती हुई आत्मा
लाख कोशिशों पर भी
सुकून से भरी
जो एक शाम तक कभी
हमें दे न सकी!
जिसके पूरे हकदार
थे हम लेकिन
जो एक नाम तक कभी
हमें दे न सकी!!
भटकते रहे हम
दर-ब-दर
अपनी नज़्मों की
फ़ाइल लेकर!
उसी दुनिया के लिए
हम क़त्ल हुए
जो एक काम तक कभी
हमें दे न सकी!!
Shekhar Chandra Mitra
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