एक बूढ़ी माँ की करुण पुकार…
तूने जुल्म-औ-कहर मुझपे ढाया बहुत
वक़्त-बेवक़्त मुझको सताया बहुत
मैं जननी हूँ तेरी ये भूला है तू
दर्द देना मुझे,तुझको भाया बहुत।
तूने जुल्म-औ-कहर मुझपे ढाया बहुत
वक़्त-बेवक़्त मुझको सताया बहुत
मैं जननी हूँ तेरी ये भूला है तू
दर्द देना मुझे,तुझको भाया बहुत।