एक बार
एक बार
कुचल दिए जाने के बाद
पुनः प्रेम का अंकुर
नहीं पनप सकता,
हाँ,मगर प्रेम का वह बीज
जो,कुचला गया था
छिन्न-भिन्न होकर
मिट्टी में पड़ा रहता है,
उसकी पीड़ा मिट्टी में भी,
दफ़्न नहीं हो पाती।
एक बार
कुचल दिए जाने के बाद
पुनः प्रेम का अंकुर
नहीं पनप सकता,
हाँ,मगर प्रेम का वह बीज
जो,कुचला गया था
छिन्न-भिन्न होकर
मिट्टी में पड़ा रहता है,
उसकी पीड़ा मिट्टी में भी,
दफ़्न नहीं हो पाती।