एक बार
आकृतियां उभरेंगी, अंधेरे छटेंगे
एक बार सहारा देने को हाथ तो आगे बढ़ा।
मुझे ऐसा लगना चाहिए कि
यह मेरा अपना ही दूसरा हाथ है
मुझे ऐसा महसूस होना चाहिए कि
एक मेरे साथ चलती मेरी परछाई
जैसा ही तेरा साथ है
जीवन की मुश्किलों के हल
निकलेंगे
सही रास्तों पर चलते
मंजिलों से आगे
अपने कदम पहुंचेंगे
एक बार मुस्कुराकर तू
अपना चेहरा
आसमान की तरफ
ऊंचा करके तो उठा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001