— एक बार सोच —
कितना गहरा नाता है चल जरा तू सोच
कोतुहल क्यूँ है मन में किस बात की सोच
कल की तो खबर नहीं रह जालिम
फिर इतना गंभीर हैतू, किस बात की है सोच !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ
कितना गहरा नाता है चल जरा तू सोच
कोतुहल क्यूँ है मन में किस बात की सोच
कल की तो खबर नहीं रह जालिम
फिर इतना गंभीर हैतू, किस बात की है सोच !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ