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22 Aug 2021 · 1 min read

एक फूल की तरह ही

मैं
एक जीवन की किताब हूं
इसके पन्नों के बीच दबा
कोई गुलाब का सूखा फूल नहीं
मैं एक रंगीन तितली हूं
पंख फैलाकर उड़ने वाली
फूलों पर न मंडराने वाली
थककर कहीं न रुकने वाली
मेरा जीवन बहुत छोटा है
मुझे पकड़कर
मेरे पंख काटकर
मेरी उड़ान पर रोक लगाकर
मुझे कैदखाने में डालकर
मुझे मारकर
यह मुझे भी
एक फूल की तरह ही
किसी किताब की कब्र में
दफनाना चाहते हैं
मेरे जीवन की अधूरी कहानी
ऐसे ही पूरी होगी
यह मैं पहले से ही जान
गई
जब मेरे चारों तरफ
विचरते रहते
जंगल के शिकारी
घर में भी सब भक्षक
तो कैसे हो मेरी रक्षा
कौन बनेगा मेरा रक्षक।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
564 Views
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