एक प्रयास
राज्य नहीं राम , जो रखो तुम न्याय की उम्मीद,
यह तो हस्तिनापुर वह गद्दी है,
जो कभी अपने पांव पे चलती हि नहीं,
यहां तो जरुरत हर वक्त विद्रोह का,
न्याय कठिन ही नहीं असंभव लगता बिना उसके,
हम पांडव बड़े लाचार है,
किसी ने छोड़ा हमें दिये बिना धोखा??
लक्ष्याग्रह में चूक गया लक्ष्य उनका,
तो क्या,
फिर नया उपाएं उन्होंने ढूंढ लिया,
खुद तो जीवन भर सुख भोगे उन्होंने,
हमें दुःख की खाएं में छोड़ा,
हमारा जीवन बर्बाद किया,
उनकी मूखर्ता के कारण,
ना जाने हम कितने को खो देंगे,
बचा लो केशव वंशों को उजड़ने से,
ना जाने कितने गांव श्मशान
में हो जाएगी तब्दील,
विश्वास किया तुम पे मोहन,
हमें धोखा ना देना,
ना लगाओ कलंक हमारे माथे पे,
दूर करो संकट यह किसी भी तरह,
यह रामराज्य नहीं जो शांति रह सकेंगी
यह तो कौरव राज्य,
जिन्हें अर्थ नही पता शांति का,
फिर भी हमारी लाज के खातिर माधव,
एक प्रयास तो करो युद्ध विराम का