एक प्यारी सी सुबह
मेरी कलम से……..
आज तुमसे पहले मैं जाग गया,
खिड़की के परदे को हटाया।
तो सूरज की सुनहरी किरणों ने,
तुम्हारे चेहरे पर चुम्बन किया।
तुम्हारा मुखमण्डल सुनहरी किरणों से,
कान्तियुक्त आभावान हो गया।।
पक्षियों के कलरव ने तुम्हारे,
कानों में राग सुनाया।
कलियों फूलों ने खिलकर,
तुम्हें चमन में बुलाया।।
कलियों ने कहा उठो सुंदरी,
अपनी गुलाबी होंठों की रंगत हमें दे दो।
अपने चेहरे की चमक,
प्यार की खुशबू हमें दे दो।।
पेड़ों की लताओं ने कहा कि,
अपनी अदाओं की लचक हमें दे दो।
घटाओं ने फरमाया कि,
अपनी काली घनी ज़ुल्फों में हमे समेट लो।।
कल कल बहते झरनों ने कहा कि,
अपनी अंगड़ाई हमें दे दो।
नागिन सी बलखाती नदियों ने कहा,
अपनी शोखी अपनी मस्ती हमें दे दो।।
हे प्रिय ! सबने कुछ न कुछ तुमसे मांग लिया,
अब मैं क्या मांगू तुमसे…..।
बस यही सोचकर मैंने उस खुदा से,
हरजन्म के लिए तुमको ही मांग लिया।।
कवि संजय गुप्ता
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