एक पौधा बेटी के नाम
एक पौधा बेटी के नाम
पौधे और बेटियों की,हुई है हालत एक
दोनों पर ही आयीं आज,विपदाएँ अनेक
लालच और स्वार्थ से,हुआ निष्ठुर इंसान
काट रहा जड़ उनकी ही,जिनसे फले जहान
अपने रोपे पौधे पर,यूँ आरी चला रहा है
मूरख नन्हीं बेटी का,क्यों गला दबा रहा है
हर घर वासी चाहते,हो उनको बेटे,राम!
बेटियों वाले चुकायें,भर भर उनका दाम
पौधों की भी इसी तरह,नित बेकद्री होती है
पथरीले शहर का बोझ,दबी हरियाली ढोती है
कभी कभी बिन चाहे ही,बेटी गर उग आती है
विपरीत दशाओं से ही,जीवन भर वह टकराती है
बड़े लोग फोटो सेशन को,खूब वृक्ष लगाते
पर बाद क्या हालत उसकी,झांँकने न जाते
किस्सा पौधे और बेटी का,एक सा है भाई
लड़ते दोनों अपने दम पर,जीवन की लड़ाई
आओ दिल में जिनके भी,कुछ करने की ललक है
बेटी संग पौधा बचायें,दुनिया तभी तलक है
@✍हेमा तिवारी भट्ट✍@