एक पेड़ की भांति
मेरी आवाज इतनी तेज है और
तुम इतने करीब कि
तुम्हारे सिर से होकर गुजर रही
है
तुम न कुछ सुन पा रहे हो
न मुझे देख पा रहे हो
न कुछ समझ पा रहे हो
न ही कुछ महसूस कर पा रहे हो
तुम तो एक पेड़ की भांति
अपनी जड़ों की बाहें फैलाये
जमीन की मिट्टी की गर्त को
पकड़े इतनी मजबूती से खड़े हो कि
हल्की फुल्की
रूई के फाये सी बहती हवायें तो क्या
तेज आंधियां भी तुम्हारा
कुछ नहीं बिगाड़ पा रही
तुम्हें हिला नहीं पा रही
तुम्हें उखाड़ नहीं पा रही।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001